मोहब्बत ने आज हमको रुला दिया,
जिस पर मरते थे उसने ही भुला दिया,
उसकी याद भुलाने के लिए आँसू पीता गया,
एक दिन बेवफा ने उसमे भी ज़हर मिला दिया.

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आँखें जो उठाए तो
मोहब्बत का गुमाँ हो
,
नज़रों को झुकाए
तो शिकायत सी लगे है
.

ना जाने क्यूँ नज़र लगी ज़माने की,
अब वजह मिलती नहीं मुस्कुराने की,
तुम्हारा गुस्सा होना तो जायज़ था,
हमारी आदत छूट गयी मनाने की.

हमें न महोब्बत मिली न प्यार मिला,
हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला,
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी,
हर कोई मकसद का तलबगार मिला.

हम इश्क़ में वफ़ा
करते करते बेहाल हो गए
,
और वो बेवफाई करके भी
खुशहाल हो गए
.

खुदा की तरह चाहने लगे थे
उस यार को
,
वो भी खुदा की तरह
हर एक का निकला
.

बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले,
बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं.

वो बेवफा हमारा इम्तिहां क्या लेगी,
जब मिलेगी तो नजर झुका लेगी,
उसे मेरी कबर पर दीया जलाने को मत कहना,
नादान है अपना हाथ जला लेगी.

मेरे रोने की हक़ीक़त जिसमें थी,
एक मुद्दत तक वो काग़ज़ नम रहा.

मोहब्बत का नतीजा दुनिया में
हमने बुरा देखा
,
जिन्हें दावा था वफा का उन्हें भी
हमने बेवफा देखा.

प्यार में धोखा मिला है तो ये बेवफा शायरी जरुर पढ़े और अपने बेवफा यार के साथ शेर करे

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