मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है,
बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं.

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वो खुश है बिछड़ कर मुझसे,
ऐ दुनिया बेवफ़ा न कह उसको.

इस दुनिया में मोहब्बत काश न होती,
तो सफर ऐ-ज़िन्दगी में मिठास न होती,
अगर मिलती बेवफा को सजाए मौत,
तो दीवानों की कब्रे यूँ उदास न होती.

हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे,
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे,
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया,
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे.

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से.

तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी.

हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम,
होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम

दुनिया वालों का भी अजीब दस्तूर है,
बेवफाई मेहबूब से मिलती है,
और बेवफा मोहब्बत बन जाती है.

तुम भी न बन जाना कहीं
मज़मून किसी किताब का,
बड़े शौक से पढ़ते हैं लोग
कहानियां बेवफाओं की.

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