जिंदगी तो कट ही जाती है
बस यही एक जिंदगी भर
गम रहेगा की हम उसे पा ना सके!
रुठुंगा अगर तुजसे तो
इस कदर रुठुंगा की
ये तेरी आँखे
मेरी एक जलक को तरसेंगी!
महोब्बत है या नशा था
जो भी था कमाल का था
रूह तक उतरते उतरते
जिस्म को खोखला कर गया!
चल मेरे हमनशी अब कही और चल
इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं
बात होती गुलो तक तो सह लेते हम
अब कांटो पे भी हक़ हमारा नहीं!
क्या करोगे अब मेरे पास आकर
खो दिया तुमने बार बार आज़मा कर!
गिला शिकवा ही कर डालो
की कुछ वक्त कट जाए
लबो पे आपको ये ख़ामोशी
अच्छी नहीं लगती!
महोब्बत मुक्कदर है कोई ख्वाब नहीं
ये वो अदा है
जिसमे हर कोई कामियाब नहीं!
जिन्हें मिलती मंजिल उंगलियो पे
वो खुश है
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नहीं
उदास हु पर आपसे नाराज़ नहीं
आपके दिल में हु पर आपके पास नहीं
जूठ कहूँ तो सबकुछ मेरे पास है
और सच कहूँ तो आपकी यादो
के सिवा कुछ भी नहीं!
तुजसे अछे तो ज़ख्म है मेरे
उतनी ही तकलीफ देते है
जितना मै बरदास्त कर सकूँ!
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