कभी फुरसत मिले तो सोचना जरुर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था.
वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये महोब्बत अधूरी कर गई,
अब हमें तन्हाईयाँ चुभती है तो क्या हुआ, कम से कम उसकी सारी तमन्नाए तो पूरी हो गई.
याद बनकर जो तू मेरे साथ रहती है,
तेरी इस एहसान का सौ बार शुक्रियां.
कितना मुश्किल है उस शख्स को मानना,
जो रूठा भी न हो और बात भी न करे.
वक्त के एक दौर में इतना भूखा था में की,
कुछ न मिला तो धोखा ही खा गया.
इतना भी दर्द न दे ऐ ज़िन्दगी,
इश्क ही तो किया था,
कोई क़त्ल तो नहीं.
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए, ये सोचकर की कोई अपना होता तो रोने ना देता.
ऐ नसीब जरा एक बात तो बता,
तू सबको आज़माता है या मुजसे ही दुश्मनी है.
सबक तो तूने बहुत सिखाया ऐ जिंदगी,
शुकर है किसी का दिल तोड़ना नहीं सिखाया.
टूटे हुए कांच की तरह चकनाचूर हो गए है हम,
किसी को चुभ ना जाए इसीलिए सबसे दूर हो गई है हम.
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