चलती फिरती आँखों से अनजान देखि है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखि, लेकिन माँ देखि है.
मै भूल जाता हूँ सारी जिंदगी की परेशानियाँ,
जब मेरी माँ अपनी गोद में मेरा सर रख लेती है.
जिंदगी की पहली टीचर माँ,
जिंदगी की पहेली फ्रेंड माँ,
जिन्दगी भी माँ क्योकि,
ज़िन्दगी देने वाली भी माँ.
किसी को घर मिला,
तो किसी के हिस्से में दौलत आई,
मै घर में छोटा था सो मेरे हिस्से मेरी माँ आई.
माँगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है,
माँ के पैरो में ही तो वो जन्नत होती है.
पहाड़ो जैसे सदमे जेलती है उम्र भर, एक औलाद की तकलीफ से माँ टूट जाती है.
कभी मुस्कुरा दे तो लगता है ज़िन्दगी मिल गई मुजको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है.
आज फिर माँ ने आखरी रोटी अपनी थाली से उससे खिला दी,
और वो अनजाने में अब भी रब को तलाशता है.
क्या चाहिए कितना बाकी है,
सुकून पाने के लिए माँ से बात करना काफी है.
माँ तेरे दूध का हक मुजसे अदा क्या होगा,
तू है नाराज तो खुश मुजसे खुदा क्या होगा!
मुझे को छावं में रखा,
खुद जलती रही धुप में, मैंने देखा है एक फ़रिश्ता माँ के रूप में.
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकालता.
सच्चे प्यार की छोटी सी कहानी जरुर पढ़े!
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