१ रुपये का सिक्का बनाने में कितना खर्च आता है? क्यों बनाए जाते है सिक्के? जानकर हैरान रह जायेगे!

क्या आपको पता है की १ रुपये के सिक्के बनाने में सरकार को कितना खर्च करना पड़ता है? अगर ज्यादा खर्च आता है तो फिर सरकार इसे क्यों बनाती है?

काफी लोगो को कहते सूना होगा की सरकार को पैसे छपवाकर गरीबो में बाँट देने चाहिए, जिससे गरीबी कम हो जाए...

लेकिन क्या यह संभव है? जवाब है बिलकुल नहीं. क्योकि अगर एक्स्ट्रा करंसी सर्क्युलर में आती है तो नोटों की कीमत घट जाती है.

दूसरी बात यह की सरकार को नोट या सिक्के छापने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते है..

कुछ किस्सों में तो सिक्के के मूल्य से उसकी लागत बढ़ जाती है. जैसे की १ रुपये के सिक्के में होता है...

१ रुपये  सिक्का बनाने में सरकार को १.११ से लेकर १.२५ रुपये तक का खर्च करना पड़ता है.

१ रुपये बनाने में कितना खर्च?

इसके बावजूद सरकार हर साल दो से ढाई करोड़ के सिक्के बनवाती है.

नोट बनाने में सरकार को काफी सारी सिक्युरिटी फीचर्स को देखने होते है और नोटों की लाइफ भी बहोत कम होती है..

लोस में जाकर क्यों बनाये जाते है सिक्के 

ऐसे में नोटों को बनाने में सरकार को ज्यादा खर्च उठाना पड़ता है. इसलिए सिक्के बनाने बहोत जरुरी हो जाते है.

१ रुपये का सिक्का महंगाई को कंट्रोल करता है कैसे ? आइए जानते है...

महंगाई को कंट्रोल करता है

अगर मिनिमम सिक्के की वेल्यु २ रुपये कर दी जाए तो सब चीज़े सीधे २ रुपये के हिसाब से बढ़ेगी..

जैसे अगर दूध के पेकेट की कीमत २२ से सीधा २४ रुपे हो जाएगी. जिससे महंगाई बढ़ जाएगी..

आशा करते है की यह जानकारी आपको पसंद आई होगी, अपने दोस्तों के साथ जरुर शेर करे. और आगे की वेब स्टोरी जरुर पढ़े...

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