हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए तेरा छोड़ जाना तो महज बहाना बन गया.

चले जाएगे चुप-चाप
एक दिन तेरी दुनिया से,
प्यार की कदर करना किसे कहते है,
ये तुजे वक्त सिखा देगा.

ले-दे कर वही है इस शहर में अपना दुनिया कही उसको भी समजदार न कर दे.

बहुत शौक था मुझे
सबको खुश रखने का,
होश तब आया जब खुद
को जरुरत के वक्त अकेला पाया.

इश्क के मार्किट में,
हुस्न वालो की जरुरत नहीं होती, जिस पे भी दिल आ जाए,
वही ख़ास हो जाता है.

बहुत ही आसन है,
जमीन पर घर बना लेना,
दिल में जगह बनाने में
जिंदगी गुजर जाती है.

पता नहीं ये कैसा जादू है,
उसके दीदार का की
हाल सुधर जाता है
इस दिल-ए- बीमार का.

उतर गया है रंग
हमारी महोब्बत का शायद,
एक अरसे से हमें
हिचकियाँ नहीं आई है.

मंजिल मिले न मिले,
रहो में है हम कुछ तो बात होगी, हम इस दुनिया में रहे न रहे,
फिर भी हमारी बात होगी.

हम महोब्बत के बाज़ार में
बिक कर आये है,
किसी के पास ज्यादा हो तो
हमें उधार दे दे.

हाथ की लकीरे भी कितनी अजीब है, कमबखत मुठ्ठी में तो है पर काबू में नहीं.

जुदाई का दर्द क्या होता है इस शायरी से जाने!

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